Benifits of anulom vilom – अनुलोम विलोम प्राणायाम: सम्पूर्ण स्वास्थ्य का रहस्य

anulom vilom -अनुलोम विलोम प्राणायाम- आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम सभी तनाव, चिंता और शारीरिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में अगर कोई आसान, प्राकृतिक और बिना साइड इफेक्ट वाली विधि हमारे शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखे, तो उससे बेहतर क्या हो सकता है?
ऐसी ही एक अद्भुत योगिक क्रिया है अनुलोम विलोम प्राणायाम।
यह प्राणायाम न केवल शरीर के ऑक्सीजन संतुलन को बनाए रखता है, बल्कि मानसिक शांति, एकाग्रता और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि अनुलोम विलोम क्या है, इसे सही तरीके से कैसे करें और इसके चमत्कारी फायदे क्या हैं।
अनुलोम विलोम क्या है?
“अनुलोम” का अर्थ होता है — “सीधा” या “सही दिशा में”,
और “विलोम” का अर्थ होता है — “उल्टा” या “विपरीत दिशा में”।
इसका मतलब है — सांस को बारी-बारी से एक नासिका से लेना और दूसरी से छोड़ना।
यह प्राणायाम शरीर की दोनों ऊर्जा नाड़ियों — इड़ा (बाईं नाड़ी) और पिंगला (दाईं नाड़ी) को संतुलित करता है।
जब यह दोनों नाड़ियाँ संतुलित होती हैं, तो तीसरी मुख्य नाड़ी सुषुम्ना सक्रिय होती है, जिससे शरीर और मन का संतुलन बनता है।

Benifits of anulom vilom – अनुलोम विलोम करने की सही विधि
अगर आप इसे पहली बार करने जा रहे हैं, तो नीचे दिए गए स्टेप्स को ध्यान से समझें और धीरे-धीरे अभ्यास शुरू करें।

स्टेप 1: सही जगह का चयन करें
-
सुबह के समय खुले वातावरण में (जैसे बगीचा या छत) इसे करना सबसे अच्छा होता है।
-
जगह शांत और स्वच्छ होनी चाहिए।
स्टेप 2: आसन
-
सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें।
-
रीढ़ सीधी रखें और आँखें बंद कर लें।
-
मन को शांत करें और सामान्य सांस लें।
स्टेप 3: हाथ की मुद्रा (नाड़ी शोधन मुद्रा)
-
दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नाक बंद करें।
-
दाहिने हाथ की अनामिका उंगली से बाईं नाक बंद करें।
-
तर्जनी और मध्यमा उंगलियाँ हल्के से मुड़ी रहें।
स्टेप 4: श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया
-
दाहिनी नासिका बंद करें और बाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस लें (गहरा श्वास)।
-
अब बाईं नासिका बंद करें और दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें।
-
फिर दाहिनी नासिका से सांस लें और बाईं से छोड़ें।
यही एक चक्र कहलाता है। शुरुआत में 5 मिनट तक करें और धीरे-धीरे इसे 15–20 मिनट तक बढ़ाएं।
अनुलोम विलोम करने का सही समय और अवधि
समय लाभ
सुबह खाली पेट ऊर्जा, ताजगी और मन की शांति
शाम को सूर्यास्त के बाद तनाव और चिंता से राहत
रोज़ाना 10–15 मिनट दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ
इसे भोजन के तुरंत बाद कभी न करें। खाने के कम से कम 3 घंटे बाद करें।
अनुलोम विलोम के प्रमुख फायदे

अब जानते हैं कि अनुलोम विलोम हमारे शरीर, मन और आत्मा के लिए किस तरह लाभकारी है।
1. मानसिक शांति और तनाव मुक्ति
अनुलोम विलोम सांस को नियंत्रित कर मन को स्थिर करता है।
यह मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर तनाव, चिंता और अवसाद (डिप्रेशन) को कम करता है।
2. हृदय स्वास्थ्य में सुधार
यह प्राणायाम ब्लड प्रेशर और हार्टबीट को नियंत्रित रखता है।
नियमित अभ्यास से हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
3. फेफड़ों को मजबूत बनाता है
सांसों का अभ्यास फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
यह अस्थमा, एलर्जी और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में बहुत लाभदायक है।
4. ब्लड सर्कुलेशन और डिटॉक्सिफिकेशन
सांस के अंदर-बाहर होने की प्रक्रिया शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है और विषैले तत्व बाहर निकालती है।
5. एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि
अनुलोम विलोम करने से मस्तिष्क की नाड़ियाँ सक्रिय होती हैं जिससे फोकस, याददाश्त और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
6. नींद की समस्या में राहत
जिन लोगों को अनिद्रा (Insomnia) की शिकायत है, उनके लिए यह प्राणायाम बहुत उपयोगी है।
यह मन को शांत कर नींद को गहरा और सुकूनभरा बनाता है।
7. हार्मोनल संतुलन
यह थायरॉयड, डायबिटीज और हॉर्मोनल असंतुलन जैसी समस्याओं में संतुलन लाता है।
अनुलोम विलोम से होने वाले वैज्ञानिक लाभ
कई वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि अनुलोम विलोम नियमित रूप से करने वाले लोगों में:
-
ब्लड प्रेशर का संतुलन बेहतर पाया गया है।
-
फेफड़ों की क्षमता 20–25% तक बढ़ी है।
-
मानसिक तनाव और चिंता के हार्मोन (कॉर्टिसोल) का स्तर कम हुआ है।
-
एकाग्रता और मानसिक संतुलन में सुधार हुआ है।
अनुलोम विलोम करते समय सावधानियाँ
किसी भी योग क्रिया की तरह, अनुलोम विलोम करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
-
शुरुआत में इसे धीरे-धीरे करें, ज़्यादा तेज़ सांस न लें।
-
अगर सर्दी या नाक बंद हो, तो पहले भाप लें या कपालभाति करें।
-
उच्च रक्तचाप, हार्ट प्रॉब्लम या गर्भवती महिलाएँ इसे डॉक्टर या योग प्रशिक्षक की सलाह से करें।
-
हमेशा खाली पेट या हल्का भोजन करने के 3 घंटे बाद करें।
-
ध्यान रखें कि सांस लेते समय शांति बनी रहे — कोई ज़ोर या खिंचाव न हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
अनुलोम विलोम एक ऐसी योगिक प्रक्रिया है जो न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखती है बल्कि मन को भी शांत करती है।
यह हमें प्रकृति के साथ जोड़ती है और जीवन में सकारात्मकता लाती है।
दिन में सिर्फ 10–15 मिनट का अभ्यास आपको मानसिक शांति, स्वस्थ शरीर और दीर्घायु का वरदान दे सकता है।
“सांसों पर नियंत्रण, जीवन पर नियंत्रण है।” — पतंजलि योगसूत्र
तो आज से ही शुरुआत करें अनुलोम विलोम की —
धीरे-धीरे, नियमितता से और पूरे मन से।
आपका शरीर, मन और आत्मा — तीनों स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे।
